
हम बनाते रहे हैं जमाने से। हुनरमंद लोग है इसे क्राफ्ट का दर्जा हासिल है हमारे देश में। हर पुरानी कल्चर का एग्रीकल्चरपन है कि हर चीज को आर्ट में बदल कर दुनिया के सामने एक्जीबिशन लगा देती है। एक तो अछूत साजिशन बनाए जाते हैं। ताकि हम सोशली हिरार्ची के मेयार पर खड़े होकर हांके और वे हमारे हुक्म की तामील करते रहें। कोई सवाल न उठाएं वे इसलिए यह दूरी जरूरी है।
दूसरे एक और कला है, अछूत बनना। जिसमें अहमक समझे जाने वाले लोग अक्सर रियाज के जरिये महारत हासिल करते हैं। दोस्तोवस्की के नाविल द इडियट में इसे बलंदी तक एक्सप्लोर करने की कोशिश की गई है। जिन्होंने पढ़ा है उन्होंने सौ घूंसों से पापड़ तोड़ते प्रिंस नेख्लूदोव को देखा होगा। अगर तमन्ना हो महसूस करने की कि अछूत होने के मायने क्या होते हैं तो खुद भी बना जा सकता है।
वह यह है कि चालू फैशन से उचक कर जरा दूर, बस कोई हाथ भर दूर हट जाएं। दूर हट कर दाएं और फिर बांए गरदन को मोड़ते हुए देखने जैसे मुद्रा बनाएं, ध्यान रहे कि कुछ दिखना नहीं चाहिए। वैसे फैशन यह है कि लच्छेदार लफ्जों में एब्सट्रैक्ट किस्म की बातें करें। अंग्रेजी की चार सात फिल्मों, छह किताबों और पांच नामचीन शख्शियतों का तड़का बघार सकते हैं तो आप वाकई दाल के दानिशवर हैं। सीधे कभी किसी पर हमला करना तो दूर खिलाफ बोला भी न जाए। ट्रेंड यानि परविरित्तियो पर अपने ख्याल जाहिर किए जाएं, सिस्टम की तरफ मिर्च दिखा कर सीसी किया जाय और एक गुंजाइश भी रखी जाए कि पता नहीं कब कौन काम का साबित हो तो उसेसे ईद मिली जा सके। ईदी का नंबर बाद में आता है। आता ही आता है। अगर आप खातून हैं तो कतई नहीं। खातून का काम कपड़े, ज्वैलरी, हुस्न वगैरा की चाशनी में लपेट कर थोड़ी बहुत दुनिया की चिंता करने से आगे नहीं जानता। इतना ही काफी है लोग कहने लगते हैं अरे देखो बेचारी कितनी खूबसूरत है फिर भी इंटलेक्चुअल है। इसके लिए शायरी सबसे मुफीद जरिया है। गेसू, आंखें, लब, पेशानी, रूखसार, उंगलियों वगैरा के हवाले से बात करे तो क्या कहने। फिर तो मकबूलियत के परनाले बहने ही बहने।
बाई द वे अछूत बनना हो सीधे नाम लेकर ब्लैक एंड व्हाईट में लिखें। अपनी राय को हाय-हाय के दायरे से बाहर खींच कर व्हाय-व्हाय? से जाहिर करें। तू सफेद मैं काली। जाहिर है एक पक्ष चुनना होगा। पक्ष चुनते ही आपको उससे जुड़े सारे बवाल का भी जिम्मा लेना होगा। ऐसा होते ही अछूत हो जाएंगे। बड़ा मजा आएगा। वाकई। हुर्रा.....।